*इंद्र जीतसिंह नाम नहीं,एक “सोच”* हैं!**#:-अपने पिता के सपनो को साकार करते हुए*भिलाई नगर ( मनोज सिंह ” “तोमर” की कलम से ):-11से 20 वर्ष की उम्र भारी अति सवेदनशील उम्र होती हैं | इस उम्र मे बच्चों के मन मे सोचने समझने की शक्ति छीण होती हैं |ठिक उसी प्रकार जैसे कुम्हार अपना कच्चा घड़ा को जिस रूप मे स्वरुप देता हैं ठिक उसी प्रकार पकने के बाद आकार लेता हैं | 12 सै 20 वर्ष की उम्र बहुत नाजुक होती हैं,जिस प्रकार की बच्चों की परवरिश करोगे बच्चे वैसे ही बनेंगे |और समाज को स्वरूप देंगे | वह लोग बिरला ही होंगे,जो लोग “सोने के चम्मच” लेकर पैदा होते हैं और अपने कर्मो सै समाज मे इतिहास बनाते उनमे सै एक हैं,हमारे “छोटू भैया ” शायद दानवीर स्व : वीरा सेठ के संस्कार व परवरिश की ही देन हैं |( बाकि अगले अंक मे क्रमशः )भिलाई सै…………शिव राज टाइम्स ( तेजी सै बढ़ता चैनल )




